सावधान : फिर से साइबर हमलों की चपेट में दुनिया, भारत भी चपेट में.

डेढ़ महीने के भीतर ही दुनियाभर के कई देश एक बार फिर वैश्विक साइबर हमले की चपेट में आ गए हैं। इस खतरनाक वायरस ने पूरे यूक्रेन को ठप करने के साथ रूस, ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका के कई सर्वरों को प्रभावित किया है। माना जा रहा है कि पिछले ‘वानाक्राई’ रैनसमवेयर से भी ज्यादा खतरनाक इस वायरस का असर भारत में भी हुआ है। हालांकि भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख गुलशन राय ने किसी भी तरह की शिकायत मिलने से इनकार किया है।

यूक्रेन पर सबसे ज्यादा प्रभावित

आईटी विशेषज्ञों ने इस वायरस की पहचान ‘गोल्डन-आई’ या ‘पैटव्रैप’ के रूप में की है। यह पिछले साल सामने आए ‘पेट्वा’ वायरस का ही उन्नत रूप है। इसका सबसे बुरा असर यूक्रेन में देखने में आ रहा है। वहां सरकारी मंत्रालयों, बिजली कंपनियों और बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में बड़ी खराबी सामने आ रही है। यूक्रेन का सेंट्रल बैंक, सरकारी बिजली वितरक कंपनी यूक्रेनेर्गो, विमान निर्माता कंपनी एंतोनोव और दो डाक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। राजधानी कीव की मेट्रो में पेमेंट कार्ड काम नहीं कर रहे हैं। कई पेट्रोल स्टेशनों को अपना काम-काज रोकना पड़ा है।

इसके अलावा रूस की रोसनेफिट पेट्रोलियम कंपनी, डेनमार्क की समुद्री यातायात कंपनी माएस्क, ब्रिटेन की दिग्गज विज्ञापन कंपनी डब्ल्यूपीपी, फ्रांसीसी कंपनी सेंट-गॉबेन और अमेरिका की दिग्गज दवा कंपनी मेरेक एंड कंपनी ने भी अपने सर्वरों के प्रभावित होने की शिकायत की है।

फ्रांस में भी शिकायत

कंस्ट्रक्शन का सामान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी सेंट गोबेन ने भी ऐसी शिकायतें की हैं। यूक्रेन के उप-प्रधानमंत्री ने एक तस्वीर ट्विटर पर डाली है, जिसमें स्क्रीन पर सिस्टम में खराबी की सूचना दिख रही है। उन्होंने कैप्शन में लिखा है, “टा-डा! कैबिनेट मंत्री के सचिवालय में नेटवर्क डाउन है।”

क्या है पेट्या या पेट्रवैप?

सरे यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऐलन वुडवर्ड के मुताबिक, यह रैनसमवेयर 2016 की शुरुआत में सामने आया था. इसमें अपराधी न सिर्फ सारी फाइलों को एनक्रिप्ट कर देते हैं, बल्कि वे ऑपरेटिंग सिस्टम के एक हिस्से पर हमला करते हैं, जिसे मास्टर फाइल टेबल (एमएफ़टी) कहा जाता है। एमएफटी सिस्टम के लिए यह जानने के लिए जरूरी है कि कंप्यूटर पर फाइलें कहां खोजनी हैं. अगर इसमें अड़चन आ जाए तो इससे भी सारी फाइलें लॉक हो जाती हैं। यूक्रेन की एक मीडिया कंपनी के अनुसार साइबर हमलावरों ने सिस्टम की फाइलों को फिर से अनलॉक करने के लिए 300 डॉलर बिटक्वाइन की मांग की है। अमेरिका में एक बिटक्वाइन की कीमत करीब 1710 डॉलर है।

 

This post was last modified on June 28, 2017 5:22 am

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