WHO ने COVID-19 के हवाई प्रसार के ‘सबूत उभरने’ की बात स्वीकार की

Pneumonia coronavirus

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को उपन्यास कोरोनवायरस के फैलने वाले हवाई सबूतों के “सबूत उभरने” को स्वीकार किया, वैज्ञानिकों के एक समूह ने वैश्विक निकाय से लोगों के बीच श्वसन संबंधी बीमारी कैसे गुजरती है, इस पर अपने मार्गदर्शन को अपडेट करने का आग्रह किया।

क्लिनिकल इंफेक्सियस डिसीज जर्नल में एक आलेख छपा है, जिसमें वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस बात का सबूत है कि कोरोना वायरस के कण हवा में मौजूद हैं और सांस लेने पर वो शरीर में चले जाते हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ऐसे कई मामले देखे गए हैं। डब्ल्यूएचओ में कोरोना महामारी के तकनीकी प्रमुख वान केरखोव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ आने वाले समय में वायरस के प्रसार के तरीकों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक संक्षिप्त वैज्ञानिक विवरण प्रकाशित करेगा।

दुनिया में अब तक 1 करोड़ 18 लाख 37 हजार 245 लोग कोरोना इन्फेक्शन की चपेट में आ चुके हैं जबकि 67 लाख 99 हजार 677 लोग ठीक हो चुके हैं। जबकी भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 7,19,665 पुष्ट मामले है और रूस को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनियाभर में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। देशभर में कुल 7,19,665 पॉज़िटिव मामलों में से 2,79,717 सक्रिय मामले हैं।

डब्ल्यूएचओ ने पहले कहा है कि वायरस जो सीओवीआईडी ​​-19 श्वसन रोग का कारण बनता है वह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकाले गए छोटे बूंदों के माध्यम से फैलता है जो जल्दी से जमीन पर डूब जाता है।

लेकिन जिनेवा स्थित एजेंसी को क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में सोमवार को प्रकाशित एक खुले पत्र में, 32 देशों में 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण दिए कि वे कहते हैं कि फ्लोटिंग वायरस के कण उन लोगों को संक्रमित कर सकते हैं जो उन्हें सांस लेते हैं।

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