ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामलाः जारी रहेगी सुनवाई, चुनाव आयोग ने 21 आप विधायकों की याचिका खारिज की.

आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को झटका देते हुए चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी है. इस मामले में चुनाव आयोग ने एक महीने पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

एडवोकेट प्रशांत पटेल ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने कहा कि आप के 21 विधायक संसदीय सचिव हैं जो कि लाभ का पद है. इसलिए उनकी याचिका खारिज कर दी.”

क्‍या है मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया. राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई. शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी.

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा. इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी.

वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था.

जा सकती है विधानसभा की सदस्यता
जानकारों का कहना है कि संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(ए) और 191(1)(ए) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई भी सदस्य अगर लाभ के किसी भी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.

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