भारत ने जताया दुख, तय नहीं कर पाया यूएन आतंकवाद की परिभाषा

भारत ने आतंकवाद को पारिभाषित करने में संयुक्त राष्ट्र के विफल रहने पर दुख जताया है। उसने कहा है कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब कट्टर आतंकी संगठन जैसे दाएश और लश्कर ए ताइबा राष्ट्र राज्य के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।

जर्मनी के बोन में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि एक बाग की शांति और कब्रिस्तान के सन्नाटे की बीच अंतर करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आतंकी दुनिया को कब्रिस्तान बनाने चाहते हैं। आतंकवाद में दुनिया के समाजों को तितर-बितर करने की क्षमता है। अगर हम एकजुटता से इसका सामना नहीं करेंगे तो 21वीं सदी के सामने यह एक काली छाया बनी होगी। उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि आतंकवाद का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। दाएश, बोको हराम और उनके सहयोगी संगठन जैसे लश्कर ए ताइबा राष्ट्र राज्य की अवधारणा को चुनौती दे रहे हैं।

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